धनहाँ
भगवान बुद्ध की कहानी हमारे गाँव के बुजुर्गो द्वारा बताया जाता है कि भगवान बुद्ध उस्मानपुर वीरभारी बगीचा होते हुए घोरटाप मटिहिनिया बमवा होते हुए हमारे गाँव धनहाँ में श्री रामजानकी मन्दिर के पास पहुँचे । वहां बहुत बडा तालाब था जो स्वच्छ व साफ सुथरा इस समय भी है। वहाँ शिवजी एवं हनुमान जी का मन्दिर भी स्थित है। भगवान बुद्ध जी ने वहां रात्रि विश्राम भी किए उनकी तबीयत थोडा खराब भी थी। वहीँ हमारे गॉव के लोगो को उपदेश भी दिए थे। फिर हमारे गॅाव में एक भीटा भी है जो बहुत बडा है। वहा पुराना ईट व पत्थर की मूर्ति मिली। वह मूर्ति हमारे गॅाव के स्वर्गींय रामनगीना राय जी ने कुशीनगर ले जाकर जमा कर दिए । उस भीटा के पास एक बहुत सुन्दर तालाब है और जिसमें एक कुऑ का जगह दिखाई देता है। उसमें चढने व उतरने की जगह पुराना ईट से बना हुआ है। इसी जगह पर हमारे पुराने बुजुर्गो द्वारा बताया जाता है कि भगवान बुद्ध इसी रास्ते पुरैना घाट होते हुए कुकुत्था घाट पर गये वहीँ पर भी चाटी घाट बना हुआ है। हमारे गाँव के भीटा पर भी बताया जाता है कि हमारे गॉव के लोगो को उपदेश दिए । हमारे पूर्वजो द्वारा बताया जाता है कि वे बहुत अच्छा-अच्छा उपदेश भी दिए । पूर्वजो द्वारा बताया गया। कि भगवान बुद्व इस धरती पर आये थे अपने शिष्यों को भी उपदेश दिये थे।
फोटो गैलरी
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
निकटतम हवाई अड्डा कुशीनगर, उत्तर प्रदेश है, जो धनहान से लगभग 18 किलोमीटर दूर है
ट्रेन द्वारा
निकटतम रेलवे स्टेशन देवरिया सदर है, जो धनहान से लगभग 50 किलोमीटर दूर है
सड़क के द्वारा
धनहाँ पहुचने का रास्ता कुशीनगर मधुरिया पुलिस चौकी से दक्षिणी 6 किलोमीटर पर स्थित है।