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वेइली

श्रेणी ऐतिहासिक

ग्राम पंचायत वेइली बकुलहर विकास खण्ड फाजिलनगर तहसील कसया जनपद कुशीनगर के राजस्व ग्राम बकुलहर कला पोस्ट बेलवा कारखाना थाना पटहेरवा विकास खण्ड फाजिलनगर। तहसील कसया जनपद कुशीनगर में स्थित सुप्रसिद्ध घोड़धाप जिसका गाटा संख्या364/5.062 है तालाब के खते में अंकित है इसके दक्षिणी किनारे पर राजकीय नर्सरी उद्यान विभाग का कार्यालय वर्तमान समय में स्थित है । मौके का फोटो संलग्न है।तथा उतरी किनारे पर उद्यान विभाग पौधशाला स्थित है। जिसमे सरकारी दर पर पौधे की बिक्री किया जाता है । पूर्वी किनारे पर मदरसा का संचालन किया जाता है तथा पश्चिमी किनारे बाकी नर्सरी का काम होता है इतिहासकारों का मान्यता है तथा पूर्वजों किदवन्तियों के अनुसार भगवान बुद्ध वीरभारी टोला जिसका वर्तमान नाम उस्मानपुर ग्राम पंचायत है । वहॉ से भगवान बुद्ध सीधे धोड़धाप पोखरा जिसको 52 बीघे तालाब के नाम से प्रसिद्धी आज भी हासिल है पर पहुच कर तालाब के चारों तरफ भ्रमण किये उस समय तालाब के मध्य सात कुआ मौजूद थे। जिसका पानी भगवान बुद्ध द्वारा ग्रहण किया तत्पश्चात भगवान बुद्ध द्वारा प्रचीन शिवमन्दिर बकुलहर कला तथा बगल में स्थित प्राचीन टीले पर ग्रामीणों को उपदेश दिये तथा भोजन ग्रहण के पश्चात रात्रि विश्रााम किये धोड़धाप प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध रहा है । यदि वर्तमान समय में खुदाई करवाया जा तो मौके पर सात कुआ मिल जायेगा किदवन्ती के अनुसार भगवान अपना उपदेश देकर कुकुत्था नदी की ओर प्रस्थान कर गये उसके बाद कुशीनगर रामाभार स्तुफ में अपना प्राण त्याग दिये कुशीनगर और धोरधाप बकुलहर कला की दुरी 20 किलो मीटर तथा पावानगर भगवान महावीर जो जैनधर्म के प्रवर्तक थे और भगवान बुद्धबौध धर्म के थे। यहा पर यठीयाव में टीले पर स्मारक बनवाया गया है जहा देश विदेश से बौध एवं जैन पर्यटक आते है यहा से मात्र 4 किलो मीटर की दुरी पर धोरधाप स्थित है। कुशीनगर पावानगर छभ् 28 पर स्थित है इसके वीरभारी टोला जहॉ में वर्तमान में खुदाई के दौरान 100 मूर्तिया बरामद हुई थी धोरधाप से मात्र 3 किलो मीटर दूरी पर स्थित है पर्यटक दृष्टि से धोरधाप पोखरा का समग्र विकास करा दिया जाय तो यहा भी विदेशी पर्यटक आते जाते रहेगे। जिससे क्षेत्र का समुचित विकास होगा विश्व विखयात कुशीनगर भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली है। इसी के समीप कई बौद्ध स्थल मौजूद है प्रसाशन से आग्रह है कि अपने स्तर से जॉच कराकर विकास कार्य बौद्ध स्थल हेतु अग्रेतर कार्यवाही करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाये ।
संक्षिप्त इतिहास
अखबारो में छपे तथा स्थानिय बुजुर्गो जो जीवित है उनसे सम्पर्क करने पर पता चला है कि प्राचीन काल में भगवान बुद्ध प्राचीन उत्तरापथ मार्ग का अनुसरण करके यहाँ के प्राचीन स्थलों पर पहुचें थें ये पड़ाव स्थल अति प्राचीन काल के है फिर भी बहुत हद तक इनकी प्रसिद्धि भगवान बुद्ध आगमन से मिली ।
यह सामान्य बात है । कि कोई भी व्यक्ति तत्तकालीन समय का प्रचलीत मार्ग और सुविधाजनक मार्ग के द्वारा जाता है। यही कारण था कि भगवान बुद्व तत्कालीन समय मे प्रचलीत उत्तरापथ नामक व्यापरिक मार्ग के द्वारा पावा (वर्तमान नाम उस्मानपुर ) आदि स्थलों पर आयें थें ।
इतिहास का मानना है कि इन स्थलों में पुरब दक्षिण के कोने से आते समय पहला स्थान भोंगनगर (वर्तमान बदुराव) नामक स्थान प्राप्त हुए थें जहाँ शिष्यों कों उपदेश देकर आगेे बढते हुए पावा (वर्तमान वीर भारी टिला उस्मानपुर )पहुचे थें।
पावा में रूकने के पश्वात चुन्दस्थन निवासी उपासक चुन्द जो वर्तमान मे गाव फरेन्दहॉ है उन्होंने भगवान बुद्व को भोजन के लिए आमंत्रित किया दूसरे दिन सवेरे भगवान बुद्व अपने शिष्यों के साथ भोजन किए और विमार पड़ गये। वहीॅ से चलकर धेाडधाप बकुलहर गॉव और वेइली के बीच मे पहुंचे जो गर्मी प्यास से तप्त थें। इसलिय शिष्य आनन्द से पानी मंगाकर पानी पिये यह पानी पीने स्थल आज सोनरा नाला है जो बेलवा कला के पश्चिम ओर बेइली के पुरब स्थित है।
यहा से चलकर भगवान बुद्ध कुलकुला (कुकुव्या ) पुरैना घाट पहुचे और वहां रूकने के बाद जीवन का अंतिम पानी पीये और अंतिम स्नान कर वहॉ से विदा लेकर कुशीनगर रामाभार पंहुचे जहीॅ दो साल वृक्षों के नीचे अपना परिनिर्माण कों प्राप्त कियें।
जो भी स्थल लिखे गये है वह आज भी किसी न किसी रूप में मौजूद हैं इममें संदेह नही है कि इतिहास पटल पर पालि साहित्य में जो कुछ भी साक्ष्य उपलब्ध है वह यही मानता कि भगवान बुद्ध का आने वाला मार्ग यही रहा इसकी पुष्टि डा0 श्यामसुन्दर सिहं द्वारा की गई लम्बी खोज से पुष्टि को चुकी है जिसका साक्ष्य वीरभारी टिला उस्मानपुर पर आज भी स्थित है।

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फोटो गैलरी

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कैसे पहुंचें:

बाय एयर

निकटतम हवाई अड्डा कुशीनगर, उत्तर प्रदेश है, जो वेइली से लगभग 20 किलोमीटर दूर है

ट्रेन द्वारा

निकटतम रेलवे स्टेशन देवरिया सदर है, जो धनहान से लगभग 50 किलोमीटर दूर है

सड़क के द्वारा

इस स्थान तक पहुँचने के लिए ऑटो-रिक्शा और स्वयं के संचलन द्वारा। कुशीनगर और देवरिया से रोडवेज बसें भी नियमित रूप से चल रही हैं।