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महापरिनिर्वाण मंदिर

उत्‍तर प्रदेश के कुशीनगर में स्थित महापरिनिर्वाण मंदिर, पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में रखी है। यह मूर्ति उस काल को दर्शाती है जब 80 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध ने अपने पार्थिव शरीर को छोड़ दिया था और सदा – सदा के लिए जन्‍म और मृत्‍यु के बंधन से मुक्‍त हो गए थे, यानि उन्‍हे मोक्ष की प्राप्ति हो गई थी। भगवान बुद्ध की इस मूर्ति को लाल बलुआ पत्‍थर के एक ही टुकडें से बनाया गया था। इस मूर्ति में भगवान को पश्चिम दिशा की तरफ देखते हुए दर्शाया गया है, यह मुद्रा, महापरिनिर्वाण के लिए सही आसन माना जाता है। इस मूर्ति को एक बड़े पत्‍थर वाले प्‍लेटफॉर्म के सपोर्ट से कोनों पर पत्‍थरों के खंभे पर स्‍थापित किया गया है। इस प्‍लेटफॉर्म या मंच पर, भगवान बुद्ध के एक शिष्‍य हरिबाला ने 5 वीं सदी में एक शिलालेख बनवाया था। मंदिर और विहार दोनों ही एक शिष्‍य की तरफ से गुरू को दिया जाने वाला उपहार था। इस मंदिर में हर साल, पूरी दुनिया से हजारों पर्यटक और तीर्थयात्री भारी संख्‍या में आते है।

फोटो गैलरी

  • परिनिर्वाण मंदिर
  • परिनिर्वाण मंदिर-माथा कुंवर

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

निकटतम हवाई अड्डा गोरखपुर, उत्तर प्रदेश है, जो श्रीलंका मंदिर से लगभग 53 किलोमीटर दूर है।

ट्रेन द्वारा

निकटतम रेलवे स्टेशन देवरिया सदर है, जो श्रीलंका मंदिर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है।

सड़क के द्वारा

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटोरिक्शा और अपने साधनों से पहुंचा जा सकता है। रोडवेज बसे भी गोरखपुर से और देवरिया से हर समय मिलती रहती है ।